22 सितंबर 2025. बिहार विधानसभा चुनावों की सरगर्मी में लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का परिवार एक बार फिर सुर्खियों में है। RJD प्रमुख लालू के परिवार में बढ़ते मतभेद ने पार्टी की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुलायम सिंह यादव के परिवार की तरह यहां भी भाई-बहन के बीच खींचतान हो रही है, जो 2025 के चुनावों में RJD के लिए घातक साबित हो सकती है। तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी बनाने की कोशिशों के बीच बड़े भाई तेजप्रताप और बहन रोहिणी आचार्य की ‘बगावत’ ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है।
पार्टी के अंदरूनी कलह का केंद्र बिंदु तेजप्रताप यादव हैं। लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप को हाल ही में एक विवादास्पद फोटो के कारण RJD से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। अनुष्का यादव के साथ उनकी तस्वीर वायरल होने के बाद वे बगावती तेवर अपनाने लगे। अब वे स्वतंत्र रूप से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं, जो पार्टी के वोट बैंक को चीर सकता है। तेजस्वी, जो 2020 में NDA के खिलाफ कांटे की टक्कर दे चुके हैं, अब पूर्ण रूप से पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। लेकिन भाई का विद्रोह उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन गया है।
इसी बीच, लालू की सबसे छोटी बेटी रोहिणी आचार्य ने भी असंतोष जाहिर किया है। लालू को किडनी दान करने वाली रोहिणी ने सोशल मीडिया पर तेजस्वी, RJD और परिवार के कई सदस्यों को अनफॉलो कर दिया। बिहार अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी के करीबी संजय यादव (जो हरियाणा से हैं) द्वारा प्रमुख स्थान पर कब्जा जमाने पर रोहिणी ने नाराजगी जताई। पार्टी नेता आलोक कुमार के सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, “मेरे लिए स्वाभिमान, सम्मान, माता-पिता के प्रति समर्पण और परिवार की प्रतिष्ठा सबसे ऊपर है।” रोहिणी ने साफ कहा कि उनके पास कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है, लेकिन परिवार का अपमान बर्दाश्त नहीं। संजय यादव के बढ़ते प्रभाव से पार्टी कार्यकर्ता भी नाराज हैं, जो बिहार की राजनीति में बाहरी को बढ़ावा देने जैसा लग रहा है।
यह झगड़ा मुलायम परिवार की 2016 वाली जंग की याद दिलाता है, जब अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को हाशिए पर धकेल दिया था। नतीजा 2017 के चुनावों में SP की करारी हार था। लालू, जो राजनीति के चाणक्य हैं, तेजस्वी को मजबूत नेता बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन परिवार का यह फूट वोटों का बंटवारा कर सकता है। नीतीश कुमार और BJP इस कलह का फायदा उठाने से चूके नहीं। अगर रोहिणी जैसी लोकप्रिय बेटी (जिनकी लालू से भावनात्मक नजदीकी मशहूर है) का असंतोष बढ़ा, तो RJD की छवि धूमिल हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लालू को जल्द ही परिवार को एकजुट करना होगा। तेजप्रताप का स्वतंत्र चुनाव लड़ना और रोहिणी का खुला विरोध पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस पैदा कर रहा है। बिहार की सियासत में यादव वोट बैंक RJD की ताकत है, लेकिन यह आंतरिक कलह उसे कमजोर कर सकती है। क्या लालू परिवार की यह जंग RJD को सत्ता से दूर रखेगी, या फिर वे एकजुट होकर NDA को चुनौती देंगे? आने वाले दिन ही बताएंगे। फिलहाल, बिहार की राजनीति में लालू परिवार का ड्रामा थमने का नाम नहीं ले रहा।
ये भी पढ़ें