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Vice Presidential Election 2025: कौन बनेगा विजेता ? आरएसएस लहरायेगी परचम या होगी न्याय की जीत !

Vinay
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Vice Presidential Election 2025: कौन बनेगा विजेता ? आरएसएस लहरायेगी परचम या होगी न्याय की जीत !

Vice Presidential Election 2025

नई दिल्ली, 9 सितंबर 2025: भारत आज अपने 17वें उपराष्ट्रपति के चुनाव (Vice Presidential Election) के लिए तैयार है। संसद भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग होगी, जिसके बाद शाम 6 बजे से मतगणना शुरू होगी और देर शाम तक परिणाम घोषित होने की उम्मीद है। यह चुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhad) के 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद जरूरी हो गया था। इस बार मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी के बीच है

सीपी राधाकृष्णन, जो वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, तमिलनाडु के एक प्रमुख ओबीसी समुदाय गौंडर से आते हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि से हैं। 68 वर्षीय राधाकृष्णन ने अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद के रूप में सेवा की और तमिलनाडु में भाजपा का नेतृत्व भी किया। उनकी उम्मीदवारी को एनडीए की मजबूत संसदीय संख्या का समर्थन प्राप्त है। 781 सांसदों के कुल मतदाताओं में से एनडीए के पास 427 सांसदों का समर्थन है, जबकि जीत के लिए 391 वोटों की आवश्यकता है। वाईएसआर कांग्रेस ने भी राधाकृष्णन के पक्ष में समर्थन की घोषणा की है, जिससे उनकी स्थिति और मजबूत हो गई है।

दूसरी ओर, 79 वर्षीय बी सुदर्शन रेड्डी, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और गोवा के पहले लोकायुक्त, इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार हैं। तेलंगाना से ताल्लुक रखने वाले रेड्डी ने सलवा जुदुम को असंवैधानिक घोषित करने और काले धन की जांच से संबंधित महत्वपूर्ण फैसलों के लिए ख्याति प्राप्त की है। विपक्ष के पास 315 सांसदों का समर्थन है, और आम आदमी पार्टी (आप) तथा एआईएमआईएम ने भी रेड्डी को समर्थन देने का ऐलान किया है। हालांकि, बीजद, बीआरएस और शिरोमणि अकाली दल ने मतदान से दूरी बनाने का फैसला किया है।

वोटिंग गुप्त मतपत्र के जरिए होगी, जिसमें सांसद अपनी पसंद के अनुसार उम्मीदवारों को प्राथमिकता देंगे। एनडीए की संख्यात्मक बढ़त के बावजूद, विपक्ष ने इसे “वैचारिक लड़ाई” करार देते हुए सांसदों से “देश की आत्मा” के लिए मतदान करने की अपील की है। इस चुनाव का परिणाम न केवल उपराष्ट्रपति पद को भरेगा, बल्कि संसद में राजनीतिक गठबंधनों की ताकत को भी दर्शाएगा।

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