Sarna Dharma Code: झारखंड में एक बार फिर आदिवासी अस्मिता और सरना धर्म संहिता को लेकर सियासत गरमा गई है। 27 मई 2025 को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने राज्यभर में जोरदार प्रदर्शन कर केंद्र सरकार से सरना धर्म को स्वतंत्र पहचान देने की मांग दोहराई।
राजधानी रांची समेत साहेबगंज, देवघर, धनबाद, गिरिडीह और खूंटी जैसे जिलों में प्रदर्शनकारियों ने प्रशासनिक कार्यालयों का घेराव किया। रांची में राजभवन से कलेक्ट्रेट तक मार्च निकाला गया।
JMM का सख्त रुख: “सरना धर्म को सातवां कॉलम मिले”
JMM के केंद्रीय महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने ऐलान किया कि अगर आगामी जनगणना में सरना धर्म को सातवें कॉलम में जगह नहीं दी गई, तो पार्टी राज्य में जनगणना नहीं होने देगी।
उन्होंने कहा:
“यह केवल धर्म नहीं, आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व का प्रश्न है। केंद्र सरकार अब तक आंख मूंदे बैठी है।”
2020 का विधानसभा प्रस्ताव और केंद्र की चुप्पी
Sarna Dharma Code: पांडेय ने याद दिलाया कि साल 2020 में झारखंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर सरना धर्म को मान्यता देने की सिफारिश केंद्र से की थी। लेकिन पांच साल बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।
JMM नेताओं ने इसे भाजपा (BJP) की आदिवासी विरोधी नीति करार दिया।

BJP का पलटवार: “यह सिर्फ राजनीतिक नाटक”
भाजपा ने JMM के इस आंदोलन को राजनीतिक दिखावा कहा। विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरना संहिता से अधिक आवश्यक है सरना संस्कृति की रक्षा।
उन्होंने कहा:
“झारखंड में 86 लाख आदिवासियों में से करीब 14 लाख ने ईसाई धर्म अपना लिया है। असली चिंता उनकी जड़ों से जुड़ाव की होनी चाहिए।”
रघुबर दास का हमला: कांग्रेस-जेमएम सिर्फ दिखावा कर रहे
पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कांग्रेस और JMM को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब नरसिंह राव प्रधानमंत्री थे, तब भाजपा ने सरना धर्म को मान्यता दिलाने की कोशिश की थी, लेकिन कांग्रेस ने उसे नज़रअंदाज़ किया।
उन्होंने कहा:
“अगर आज इन्हें आदिवासियों की इतनी चिंता होती, तो अब तक कोई समाधान निकल चुका होता।”